Topic: Vedanta Darshana(वेदान्त दर्शन)
Subject: Padarth Vigyan Part-I
Chapter: Ayurveda Darshana Nirupana
Course: BAMS First year
Hello learners, welcome to Sanskrit Gurukul. In this post, we will learn about Vedanta Darshan and its influences on Ayurveda. This topic is a part of the Padartha Vigyan Subject of the BAMS course. in this second chapter, Ayurveda Darshana nirupana of padarth Vigyan, we have covered the following topics already:
- Ayurveda Darshana nirupan
- Classification of Darshana, Nyaya Darshana (दर्शन के प्रकार, न्याय दर्शन)
- Samkhya Darshana (सांख्य दर्शन)
- Yoga Darshana (योग दर्शन)
- Vaisesika Darshan (वैशेषिक दर्शन),
- Mimamsa Darshana (मीमांसा दर्शन),
Table of Contents
Vedanta darshana
Vedanta darshan is also known as Uttara Mimamsa or Brahma sutra or sharira sutra or Bhikshu Sutra or jnana Mimamsa or jnana Kanda.
It is propounded by Veda Vyas or Krishna Dwaipayan.
Vedanta darshan is the essence of Jnana Kanda of Veda or Uttara Kanda of Veda or the essence of Upanishads. It deals with the 3 traditions ( Advaita of Shankaracharya, Dwaita of Madhvacharya, and Vishistadwaita of Ramunujacharya), Vivartavada ( Brahma is only true and creation is false), the importance of Aptopadesh, Jnanakanda, Moksha by Yogabhyasa, and 555 Vedanta sutra.
Mainly there are three schools of Vedanta darshana.
Advaita ( non-dualism) preached by Adi Shankaracharya
Vishishtadvait (qualified monoism) preached by Ramanujacarya
Dvaita ( Dualism) preached by Madhavacharya.
In the view of above three schools, Brahman, i.e., God to be cause of all effects.
Vedanta darshana stresses that Brahma Padartha is the only true and the entire universe is an illusion or myth
ब्रह्म सत्यम् जगतमिथ्या।
Creation is, but a process of evolution and involution. Just as the rain drop, whic is , but vapor drawn from the oceans, ultimately comes down to the ocean only to be transferred to the ocean again, all things that are destroyed only go back to their final forms. Similarly is the case with the universe also.
Darshna | Purva Mimamsa Darshana |
Karta | Maharshi Vedavyasa |
Main text | Vedanta Sutra |
Vedanta Sutra | 555 |
Praman | Priority is given to Apotopadesha |
Importance given to | Jnanakanda of Veda |
Prayojana | Moksha by Yogabhysa |
Similarities between Vedanta darshana and Ayurveda
- Brahma is true in the evolution.
- Karma-phala is the deciding factor of present life.
- Concept of Bhutaan-pravesh ( Transmission of the qualities of one Bhuta to another).
- Evolution is known as Sarga or vyakta and involution is known as Laya or Avyakta.
- Concept of empirical soul.
- Priority to aptopadesha among 4 pramanas.
वेदान्त दर्शन
इस दर्शन के रचयिता महर्षि व्यास है। इस दर्शन को उत्तर मीमांसा या ज्ञान मीमांसा भी कहते है। इस दर्शन का मुख्य विषय समस्त विश्व के विधाता पर ब्रम्हा का स्वरूप जानना एवं उसके ज्ञान साधनों की और प्रेरणा देना है यह दर्शन केवल ब्रह्मा की सत्ता स्वीकार करता है और जीव तथा जगत की सत्ता को मिथ्या बतलाता है।
“ब्रह्मसत्यम जगतमिथ्या”
ब्रह्म निर्गुण, निर्विकार है, स्वयंप्रकाश है, चैतन्य है, अखण्ड है, फिर भी जब माया से ब्रह्मा युक्त होता है, तब वह सगुण परमेश्वर कहलाता है।
वेदान्त दर्शन एवं आयुर्वेद अध्यात्मवाद से भरा पड़ा है। वेदान्त दर्शन और आचार्य चरक, कारण से कार्य की उत्पत्ति, मोक्ष, आप्तोपदेश, पूर्वजन्मकृत कर्म आदि को मानते है।
रचनाकार | वेदव्यास या बदरायण |
पर्याय | उत्तर मीमांसा, ज्ञान मीमांसा, ब्रह्मसूत्र, भिक्षुसूत्र |
वाद | विवर्तवाद, ब्रह्मवाद, अद्वैतवाद, अध्यात्मवाद |
उद्देश्य | वेदान्त सूत्रों के अनुसार समस्त विश्व एक ही अनादि शक्ति ब्रह्म या ईश्वर कारण है। इसमें परम पुरुषार्थ मोक्ष बताया गया है। |
वेद का अन्तिम तात्पर्य बतलाने के कारण इसे वेदान्त दर्शन कहा जाता है।
इसमें ब्रह्म पर विस्तृत रूप से विचार किया गया है।
इसमें केवल ब्रह्म की सत्ता को ही स्वीकार किया है जो कि निर्गुण, निर्विकार, चैतन्य, असंख्य, और प्रकाशवान है।
यह दर्शन विवर्तवाद का समर्थक है।
इस दर्शन में शुद्ध स्वरूप वाले चेतनतत्व का वैज्ञानिक विवेचन प्रस्तुत किया गया है।
भारतीय आस्तिक दर्शन में वेदान्त ही ऐसा दर्शन है, जिसके आधार पर भारत में ब्रह्म से सम्बन्धित पाँच सिद्धांत- अद्वैतवाद, विशिष्टाद्वैतवाद, द्वैतवाद, शुद्धाद्वैतवाद, तथा द्वैत-अद्वैतवाद प्रचलित व प्रसारित हुए।
आयुर्वेद तथा वेदान्त दर्शन में समानताएँ
- लोक पुरुष सम्य सिद्धांत के बारे में वर्णन करते हुए, चरक कहते हैं कि वेदांत दर्शन में उल्लेखित ब्रह्म पदार्थ ही शरीर में अंतरात्मा है।
- पुर्व जन्म कर्मों के फल का चरक द्वारा वर्णन वेदांत दर्शन के समान है।
- भूटानुगुण प्रवेश के सिद्धांत को पंचकर्ण सिद्धांत के रूप में जाना जाता है या आयुर्वेद में वर्णित एक परस्पर अनुप्रवेश भी वेदांत दर्शन से अपनाया गया है।
- वेदांत दर्शन से सर्ग या सृष्टि या विकास या लय, जीवात्मा, मोक्ष और मोक्ष प्राप्त करने का तरीक़ा वेदान्त दर्शन से अपनाया गया है।
In the next lesson, we will learn more about other Darshana. If this post helps you in understanding the Padarth vigyan and Vedanta Darshana better, please like and share the post. It will keep us motivated. For any query and question please comment below and will try to solve it asap. अगले पाठ में हम अन्य दर्शनों के बारे में और जानेंगे। अगर यह पोस्ट आपको पदार्थ विज्ञान और वेदांत दर्शन को बेहतर ढंग से समझने में मदद करती है, तो कृपया पोस्ट को लाइक और शेयर करें। यह हमें प्रेरित करता रहेगा। किसी भी प्रश्न और प्रश्न के लिए कृपया नीचे टिप्पणी करें और इसे जल्द से जल्द हल करने का प्रयास करेंगे।
Akarant (अकारांत) Ashtanga Hridayam Ayurveda Dhatu roop (धातु रूप) makarant(मकारांत) masculine (पुर्लिंग) Neuter (नपुंस्कलिंग) Padarth Vigyan Sanskrit-101/संस्कृत-101 sanskrit-102 shabd roop (शब्द रूप) Stories streeling (स्त्रीलिंग)