Hello learner, welcome to Sanskrit Gurukul. In today’s lesson we will study classification and general introduction of the school of Indian philosophy and in the later part, we will learn about Nyaya Darshana in detail and its influence on Ayurveda. In the previous post we have learned about the following topic:
Ayurveda Darshana nirupana- Padarth Vigyan- BAMS- Sanskrit Gurukul
Table of Contents
Classification of Darshana: दर्शन के प्रकार
Two types of Darshana are prevalent in the world, Indian and Western. In Indian philosophy, there are two types of Darshana, Astika (theist) and Nastika (atheist).
वैश्विक दर्शन जगत में दो प्रकार के दर्शनशास्त्र प्रचलित है, भारतीय एवं पाश्चात्य। भारतीय दर्शन में भी पुनः आस्तिक तथा नास्तिक भेद से दो प्रकार के दर्शन है।
Astika (theist) darshana (आस्तिक दर्शन)
“अस्ति परलोकः इत्येवं मतिर्यस्य सः आस्तिकः”
The Astika Darshana are those that accept the Vedas as a source of knowledge. They believe in the existence of Brahman and Atman (soul). And also believe in reincarnation and the afterlife. They believe in the existence of janama (birth), Marna (death), moksha (salvation), and Ishwara (creator).
भारतीय दर्शन परम्परा में उन दर्शनों को आस्तिक दर्शन कहा जाता है जो वेदों को प्रमाण मानते हैं। वे ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखते है, वेदों पर आस्था रखते है। पुनर्जन्म एवं परलोक में विश्वास रखते हैं तथा आत्मा, परमात्मा तथा मोक्ष को मानते है। इन्हे षड्दर्शन भी कहा जाता है।
Astika darshana are six in numbers. They are:
अस्तिका दर्शन संख्या में छह हैं। वे:
Darshana ( दर्शन ) | Sage ( ऋषि ) |
---|---|
Samkhya darshana (सांख्य दर्शन) | Sage Kapila (ऋषि कपिल) |
Yoga darshana (योग दर्शन) | Sage Patanjali (ऋषि पतंजलि) |
Nyaya darshana (न्याय दर्शन) | Sage Gautama (ऋषि गौतम) |
Vaisheshika darshana (वैशेषिक दर्शन) | Sage Kanada (ऋषि कणाद) |
Mimamsa darshana (मीमांसा दर्शन) | Sage Jaimini (ऋषि जैमिनि) |
Vedanta darshana (वेदान्त दर्शन) | Sage Vyas (ऋषि व्यास) |
Nastika Darshana (नास्तिक दर्शन)
नास्तिकः परलोकः इत्येवं मतिर्यस्य सः नास्तिकः
The Nastika Darshana doesn’t believe in the supremacy of the Vedas. They don’t have faith and believe in Atma, Paramatma, Janama, Marana, Moksha, and Ishwara. They don’t believe in reincarnation and the afterlife.
भारतीय दर्शन परम्परा में उन दर्शनों को नास्तिक दर्शन कहा जाता है जो वेदों को प्रमाण नहीं मानते हैं। वे ईश्वर की सत्ता में विश्वास नहीं रखते है, वेदों पर आस्था नहीं रखते है। पुनर्जन्म एवं परलोक में विश्वास रखते हैं तथा आत्मा, परमात्मा तथा मोक्ष को नहीं मानते है।
They are three in numbers.
नास्तिका दर्शन संख्या में तीन हैं।
- Charvaka Darshan (चार्वाक दर्शन)
- Buddha Darshana (बौद्ध दर्शन)
- Jain Darshana (जैन दर्शन)
Nyaya darshana (न्याय दर्शन)
प्रमाणरर्थ परीक्षणै न्याय
The creator of the Nyaya Darshana is Gautam Muni, who is also known as Akshapad. This philosophy’s other names (synonyms) are Tarka vidya, Vaad Vidya, Anviksiki, and Purana Nyaya. The word Nyaya means knowledge of right and wrong. Maharishi Gautam created the Nyaya Darshana for the relief of the miseries of the whole world. The root cause of jealousy is false knowledge, the main objective of Nyaya Darshan is to get rid of this false knowledge and to attain salvation by getting rid of sorrows by knowing the essence by examining all the four pramana.
न्याय दर्शन की रचनाकार गौतम मुनि है जिन्हें अक्षपाद भी कहा जाता है। इस दर्शन के दूसरे नाम (पर्याय) तर्क विद्या, वाद विद्या, आन्वीक्षिकी, तथा पुराण न्याय हैं। न्याय शब्द का अर्थ है उचित और अनुचित का ज्ञान। महर्षि गौतम ने सम्पूर्ण जगत के दुखों के निवारण के लिये न्याय दर्शन की रचना की। रागद्वेष का मूल कारण मिथ्या ज्ञान है, इसी मिथ्या ज्ञाता निवारण करना तथा चारों प्रमाणों द्वारा परीक्षा कर तत्व ज्ञान कर दुःखों से निवृत होकर मोक्ष प्राप्त करना ही न्याय दर्शन का मुख्य उद्देश्य है।
The main text of the Nyaya Darshana is the Nyaya Sutra, which has 5 chapters. In the first and second chapters, pramana (proof), prameya (theorem), sanshaya (doubt), prayojana (purpose) drashtanta (vision), Siddhanta (theory), tarka (logic), avayava (element), nirnaya (judgment), vada (argument), jalap (litigation), vitanda, hetvabhasa (desire), Chala (deceit), jati (caste), nigrahasthana (place of control); these 16 Padartha (tatva) are described. Moksha is attained by the knowledge of these padarthas.
न्याय दर्शन का मुख्य ग्रन्थ न्याय सूत्र है जिसमें ५ अध्याय है। प्रथम तथा द्वितीय अध्याय में प्रमाण, प्रमेय, संक्षय, प्रयोजन, दृष्टा, सिद्धांत, तर्क, अवयव, निर्णय, वाद, जल्प, वितन्डा, हेत्वाभाव, छल, जाति, निग्रह स्थान; इन १६ तत्वों का वर्णन है। इनके तत्व ज्ञान से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
In the third chapter the description of Atman (soul), sharira (body), senses, and wealth, and intelligence, mind, virtue, and sin, etc. is found. In the fourth chapter, nature, fruit, and freedom from sorrow have been examined. The examination of substances, the idea of indivisibility of atoms, and the fragmentation of matter were discussed.
In the fifth and final chapter, the distinctions of caste, place of control have been told. The need for material knowledge for the attainment of salvation, the solution of anti-God doubts, the authenticity of the Vedas, etc. has been thoroughly considered.
तीसरे अध्याय में आत्मा, शरीर, इन्द्रिय, और अर्थ तथा बुद्धि, मन, पुण्य एवं पाप आदि का वर्णन मिलता है। चौथे अध्याय में प्रकृति, फल, दुःख से मुक्ति की परीक्षा की गयी है। पदार्थों की परीक्षा, परमाणुओं की अविभाज्यता पर विचार तथा पदार्थ के खण्डन पर विचार किया गया।
पाँचवें तथा अंतिम अध्याय में जाति, निग्रह स्थान के भेद बताये गये है। मोक्ष प्राप्ति के लिये पदार्थ ज्ञान की आवश्यकता, ईश्वर विरोधी शंका का समाधान, वेदों की प्रमाणिकता आदि विषयों पर पूर्ण विचार किया गया है।
Creator | Rishi Gautam or Akshapada |
Prayaya (Synonyms) | Tarka vidya (logic), Vaad Vidya (rhetoric), Anviksiki (investigation) |
Evidence | Pratyalsha (direct), Anuman (conjecture), atmopdesha (self-exhortation), upamana (likeness) |
Elements | Pramana (Proof) (4), Prameya (theorem) (12), sanshaya (doubt), prayojana (purpose), drashtanta (vision), siddhanta (theory) (4), avayava (element) (5), tarka (argument) (11), nirnaya (judgment), vada (argument), jalap (litigation), vitanda, (Hypocrisy) (5), chala (deception) (3) , jati (caste) (24), nigrahasthana (place of control) (22) |
Characteristic | Nyaya philosophy gives primacy to rational reasoning based on evidence. It is also called proof-of-view. |
रचनाकार | ऋषि गौतम या अक्षपाद |
पर्याय | तर्कविद्या, वादविद्या, आन्वीक्षिकी |
वाद | असत्कार्यवाद,/ आरम्भवाद/ पिठरपाकवाद |
प्रमाण | प्रत्यक्ष, अनुमान, आत्मोपदेश, उपमान |
तत्व | प्रमाण (4), प्रमेय (12), संशय, प्रयोजन, दृष्टान्त, सिद्धांत (4), अवयव (5), तर्क (11), निर्णय, वाद, जल्प, वितण्डा, हेत्वाभास (5), छल (3), जाति (24), निग्रह स्थान (22) |
विशेषता | न्याय दर्शन प्रमाण पर आधारित युक्ति संगत तर्क को प्रधानता देता है। इसे प्रमाण विचार दर्शन भी कहते है। |
Ayurveda and nyaya darshana (आयुर्वेद और न्याय दर्शन)
The influence of Nyaya Darshana can be mainly seen in Charaka Samhita. Charaka has described the principles of Nyaya Darshana in detail. Pramamas are the main theme of Nyaya darshana. In Nyaya darshana, great importance is placed on Pramamas in general and Anumana Pramana in particular.
According to the definition of Nyaya Philosophy, “Pramaarartha Prakshayi Nyaya” means to test anything with the help of Pramana is called Nyaya. Ayurveda has also adopted the Pramana in their science. According to Ayurveda, most of the evidence is useful in the diagnosis and treatment of diseases.
चरक संहिता में न्याय दर्शन का प्रभाव मुख्य रूप से देखा जा सकता है। चरक ने न्याय दर्शन के सिद्धांतों का विस्तार से वर्णन किया है। प्रमाण न्याय दर्शन का मुख्य विषय है। न्याय दर्शन में सामान्य रूप से प्रमाण और विशेष रूप से अनुमान प्रमाण पर बहुत महत्व दिया है। न्याय दर्शन की परिभाषा के अनुसार “प्रमाणरर्थ परीक्षणै न्याय” का अर्थ है प्रमाणों की सहायता से किसी भी चीज़ की जाँच करना न्याय कहलाता है। आयुर्वेद ने भी अपने विज्ञान में प्रमाणों को अपनाया है। आयुर्वेद के अनुसार, रोगों के निदान और रोगों के उपचार में अधिकांश प्रमाणों की उपयोगिता है।
In the next lesson, we will learn more about Samkhya Darshana. If this post helps you in understanding the Ayurveda nirupana and Nyaya Darshana better, please like and share the post. It will keep us motivated. For any query and question please comment below and will try to solve it asap.
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